रेलवे : बजट में इस बार होगा सिग्नलिंग और मेंटीनेंस पर जोर

January 27, 2019, 1:29 PM
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लगातार बढ़ते वित्तीय दबाव के बीच रेलवे ने इस बार वित्त मंत्रालय से अगले वित्तीय वर्ष के लिए 68 हजार करोड़ रुपये की बजटीय सहायता मांगी है। रेलवे इस रकम के जरिए न सिर्फ ट्रेक मेंटीनेंस पर फोकस करना चाहती है बल्कि सिग्नलिंग सिस्टम और अपने नेटवर्क के विस्तार पर भी आक्रामक तरीके से कार्य करना चाहती है। हालांकि, रेलवे को पिछली बार वित्त मंत्रालय ने महज 53 हजार करोड़ रुपये की ही बजटीय सहायता दी थी। लेकिन इस बार रेलवे को लग रहा है कि चूंकि रेलमंत्री और वित्तमंत्री की भूमिका पीयूष गोयल ही निभा रहे हैं इसलिए रेलवे को इस बार अच्छी खासी रकम मिल सकती है।

सूत्रों का कहना है कि पहले रेलमंत्री और वित्तमंत्री अलग अलग थे। लेकिन इस बार उम्मीद है कि रेलमंत्री पीयूष गोयल ही वित्त मंत्री के रूप में बजट पेश करेंगे। ऐसे में रेलवे को पिछले वर्ष से कहीं अधिक रकम मिलने की उम्मीद है। रेलवे की ओर से वित्त मंत्रालय से मांग की है कि अगले वित्तीय वर्ष में बजटीय सहायता के रूप में उसे 68 हजार करोड़ रुपये की रकम मिलनी चाहिए।

मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि रेलवे इस बार प्लानिंग कर रहा है कि सिग्नल सिस्टम को बेहतर बनाया जाए। हालांकि पहले रेलवे ने लगभग 65 हजार करोड़ रुपये की लागत से पूरे देश में नया सिग्नल सिस्टम बनाने की योजना तैयार की थी लेकिन वह सिरे नहीं चढ़ सकी। सूत्रों का कहना है कि अगले वित्तीय साल में यह हो सकता है कि पूरे रेल नेटवर्क की बजाए कुछ हिस्से में नया सिग्नल सिस्टम लगा दिया जाए। इस सिग्नल सिस्टम की आवश्यकता इसलिए है, क्योंकि ट्रेनों की रफ्तार अगर बढ़ानी है तो सिग्नल सिस्टम को अपग्रेड करना आवश्यक है। मौजूदा सिग्नल सिस्टम उतना आधुनिक नहीं है, जितने की अभी जरूरत है।

सूत्रों के मुताबिक रेलवे की बड़ी दिक्कत बढ़ता वित्तीय दबाव है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने की वजह से रेलवे पर सालाना 23 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ा है। इसके अलावा रेलवे चाहता है कि दुर्घटनाओं को न्यूनतम करने के लिए जरूरी है कि ट्रैक मेंटीनेंस पर जोर दिया जाए। रेलवे मेंटीनेंस के लिए अत्याधुनिक मशीनें खरीदना चाहता है ताकि ट्रैक मेंटीनेंस का काम सिर्फ मैनुअल न रखा जाए। रेलवे की चिंता यह भी है कि उस पर वित्तीय दबाव बढ़ता जा रहा है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि रेलवे में उतने बड़े पैमाने पर प्राइवेट निवेश नहीं आ रहा, जिसकी पहले उम्मीद की जा रही थी। ऐसे में रेलवे चाहता है कि उसे अतिरिक्त बजटीय सहायता मिले तो वह रेलवे नेटवर्क के विस्तार पर भी कार्य कर सकेगा।

Source – Nav Bharat

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