राजस्थानी संस्कृति के रंग में रंगा रेलवे स्टेशन

February 14, 2019, 11:28 AM
Share

किशनगढ़ रेलवे स्टेशन पर अब राजस्थान की कला-संस्कृति के रंग नजर आने लगे हैं। यहां के एक प्लेटफार्म पर जहां किशनगढ़ शैली से बने चित्र यात्रियों को सुकून का अहसास दे रहे हैं। वहीं बाहर की ओर दीवार पर बनाए गए चित्र शैली, फड़ शैली, मिनियेचर आर्ट से बने मांडणे, हाथी पर सवार राजा, रानियां, रौबीले, सजी-धजी मारवाड़ हवेलियां, सहित अन्य चित्र जो राजस्थानी कला व संस्कृति की छटा बिखेर रहे हैं। रेलवे मंडल की सौंदर्यीकरण योजना के तहत किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन के निर्देशन में युवा चित्रकारों द्वारा बनाए गए इन चित्रों ने रेलवे स्टेशन का कायाकल्प कर दिया है। इन चित्रों से स्टेशन अलग लुक में नजर आ रहा है। इसके साथ ही आने वाले समय में स्टेशन पर सेल्फ जोन भी बनाया जाएगा।

स्टेशन के अंदर प्रवेश करते ही राजस्थानी कला व संस्कृति 

किशनगढ़ रेलवे स्टेशन पर प्रवेश करते ही सामने दीवार पर राजस्थानी कला व संस्कृति को चित्रों के माध्यम से उकेरा गया है। जो यात्रियों को बरबस अपने ओर आकर्षित कर रहे हैं। स्टेशन को कवर करने वाली दीवार पर राजस्थान की ग्रामीण संस्कृति के अलावा फड़ चित्रकारिता को भी स्थान दिया गया है। इन चित्रों में बंजारों की बस्ती, गांव का किसान, नखराली छोरी, सहित अनेक चित्र है जो अपना ध्यान आकर्षित करते चल रहे हैं।

स्टेशन पर ग्रीन बेल्ट 

मार्बल एसोसिएशन चित्रकारिता के साथ ही दस फीट की एक किमी बेल्ट को ग्रीन बेल्ट में विकसित कर रही है। इस स्थान पर हरी घास लगाई गई है। जो दूर से यात्रियों को खुद की ओर आकर्षित कर रही है। इस बेल्ट के सहारे राजस्थानी कला व संस्कृति को ध्यान में रखकर बनाए गए चित्र स्टेशन के सौंदर्य में चार चांद लगा रहे हैं।

बणी ढणी व चौहान की थ्री डी पेंटिंग 

रेलवे स्टेशन के मुख्य हाल में जहां आरक्षण व टिकट काउंटर बनाए गए हैं। वहां ऊपर की ओर राधारानी के स्वरूप बणी ढणी जिसे विश्व की दूसरी मोनालिसा कहा जाता है और यशस्वी सम्राट महाराजा पृथ्वी सिंह चौहान की थ्री डी पेंटिग सभी को आकर्षित कर रही है। रात के समय इसकी चमक दूर से ही नजर आने लगती है।

स्टेशन मास्टर कक्ष की दीवार रंगी किशनगढ़ के इतिहास से 

प्लेटफार्म संख्या एक पर आरपीएफ कार्यालय से लेकर वीआईपी रूम तक ऊपर की ओर किशनगढ़ के इतिहास का बखान करती पेंटिग वाटर कलर से बनाई गई है। इस पेंटिग में गुंदोलाव झील की अनुपम छटा, झील के बीच स्थित मोखम विलास जिसे यज्ञ स्थली के नाम से भी जाना जाता है और वर्तमान में इसे संत नागरीदास पैनोरमा के रूप में विकसित किया गया है। इसके साथ ही फूलमहल को पेंटिग को माध्यम से उकेरा गया है। गुंदोलाव झील के किनारे किशनगढ़ का किला सभी के मन को भा रहा है।

सीएमआई आर के जैन ने बताया कि रेलवे ने स्टेशनों के सौंदर्यीकरण की योजना तहत मार्बल एसोसिएशन के साथ मिलकर स्टेशन को निखारने का कार्य किया है। किशनगढ़़ मार्बल एसोसिएशन के सहयोग से स्टेशन पर राजस्थानी चित्रकारिता सहित किशनगढ के इतिहास की जानकारी चित्रोंं के माध्यम से दी गई है। इस पर साढ़े तीन लाख रुपए की लागत आई है। स्टेशन के बाहर भी आने वाले दिनों में किशनगढ़ के इतिहास सहित राजस्थानी चित्रकला व संस्कृति को चित्रो के माध्यम से दर्शाया जाएगा।

विकसित किया जाएगा सेल्फी जोन 

रेलवे स्टेशन को निखारने का कार्य जाेरों पर है। रेलवे ट्रैक को विभिन्न रंगों के माध्यम से खूबसूरत बनाया गया है। प्लेटफार्म नंबर दो की ओर ट्रैक को खूबसूरत बनाने का कार्य किया जा रहा है। डिस्प्ले बोर्ड लगाए जा रहे हैं। टिकट काउंटर हाल में रेलवे की जानकारी के लिए एनटीपी एलईडी लगा दी गई है। भारत विकास परिषद सहित अन्य के सहयोग से वाटर कूलर लगाए जा रहे हैं। शीघ्र ही स्टेशन पर सेल्फी जोन विकसित किया जाएगा।

रेलवे स्टेशन के मुख्य हाॅल पर बणी-ढणी व यशस्वी सम्राट पृथ्वीराज की थ्री डी पेंटिंग लगाई।

रेलवे स्टेशन पर स्टेशन कक्ष के बाहर चित्रकारिता के माध्यम से बताया जा रहा किशनगढ़ का इतिहास। गूंदोलाव झील के बीच में मोखम विलास जो वर्तमान में नागरीदास पैनोरमा है।

Source – Dainik Bhaskar

   
Disclaimer: The Information /News /Video provided in this Platform has been collected from different sources. We Believe that “Knowledge Is Power” and our aim is to create general awareness among people and make them powerful through easily accessible Information. NOTE: We do not take any responsibility of authenticity of Information/News/Videos.
Share

This entry was posted in 1 Rail News, Rail Development, Railway Employee