भारतीय रेल में ट्रेन के डिब्बों (कोचों) पर अलग-अलग रंग और धारियां केवल सौंदर्य या सजावट के लिए नहीं होतीं, बल्कि उनके पीछे एक व्यवस्थित तर्क और कार्यात्मक उद्देश्य होता है। आइए इस विषय को विस्तार से समझते हैं:
1. कोच के रंग और उनका महत्व
रेलवे के कोचों पर प्रयुक्त रंग, उनके उपयोग, श्रेणी और प्रकार को चिन्हित करने के लिए होते हैं। उदाहरण के लिए:
कोच का रंग | उपयोग/श्रेणी | विवरण |
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नीला (Blue) | मेल/एक्सप्रेस ट्रेन के सामान्य कोच | सबसे सामान्य रंग, वर्षों से प्रयोग में। |
लाल-मेरून (Maroon) | पुराने आईसीएफ (ICF) कोच | 1990 के दशक तक प्रचलन में। |
हल्का नीला और गहरा नीला संयोजन | सामान्य और शयनयान (Sleeper) कोच | नए जमाने की मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों में देखा जाता है। |
क्रीम-लाल (Cream-Red) | राजधानी, शताब्दी जैसी प्रीमियम ट्रेनें | क्रीम बॉडी और लाल पट्टी। उच्च श्रेणी के संकेत। |
सफेद और नीला/सिल्वर | वातानुकूलित (AC) कोच | आमतौर पर AC First Class, AC 2 Tier आदि के लिए। |
क्रीम-हरे रंग का संयोजन | गरीब रथ ट्रेनें | विशेष रूप से गरीबों के लिए बनाई गई किफायती एसी ट्रेनें। |
हरा और पीला | उपनगरीय (Suburban) ट्रेनों के कोच | मुंबई, चेन्नई जैसे शहरों की लोकल ट्रेनों में। |
सलेटी (ग्रे) और सफेद | अत्याधुनिक LHB कोच | तेजस, वंदे भारत जैसी आधुनिक ट्रेनों में। |
2. धारियों (Stripes) का महत्व
धारियां (Stripes) कोच पर जल्दी पहचान के लिए लगाई जाती हैं, खासकर बड़े स्टेशनों पर जहां गाड़ियों के डिब्बों की संख्या अधिक होती है। इनका उद्देश्य है:
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कोच का वर्ग (Class) पहचानना
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कोच का प्रकार जानना (जैसे कि शयनयान, वातानुकूलित, सामान्य)
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दिव्यांग यात्रियों के लिए विशेष कोच की पहचान
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महिला आरक्षित डिब्बे की पहचान
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गार्ड वैन, पार्सल वैन इत्यादि का अलग से संकेत
उदाहरण:
धारियों का रंग | अर्थ |
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पीली धारी (Yellow Stripe) | दिव्यांग यात्रियों के लिए कोच |
हरी धारी (Green Stripe) | महिलाओं के लिए आरक्षित कोच |
नीली या लाल पट्टी | एसी/सुपरफास्ट ट्रेनों के विशिष्ट कोच |
विशेष नोट:
धारियां रात के समय भी दिखाई दें, इसके लिए कई बार इनमें रिफ्लेक्टिव सामग्री भी लगाई जाती है।
3. तकनीकी और परिचालन कारण
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मरम्मत और रखरखाव में सहूलियत: रंग और धारी देखकर रेलवे स्टाफ को कोच का प्रकार और इसकी मरम्मत की आवश्यकता का अनुमान जल्दी हो जाता है।
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आपातकाल में त्वरित पहचान: दुर्घटना या इमरजेंसी के समय रेस्क्यू ऑपरेशन में किस कोच में कौन से यात्री हो सकते हैं, इसका अनुमान रंग/धारी देखकर आसानी से लगाया जा सकता है।
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डिब्बों का त्वरित संयोजन: स्टेशनों पर ट्रेन की बोगियों को जोड़ने (shunting) में भी सही कोच पहचानने में मदद मिलती है।
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ब्रांडिंग और अलग पहचान: कुछ विशेष सेवाओं जैसे वंदे भारत एक्सप्रेस, तेजस एक्सप्रेस के रंग और डिज़ाइन ब्रांडिंग के लिए भी खास बनाए जाते हैं ताकि यात्री उन्हें तुरंत पहचान सकें।
4. कोच डिज़ाइन का विकास (संक्षेप में इतिहास)
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1950-1980: गहरे लाल/भूरे रंग के ICF कोच
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1990-2000: नीले रंग के मेल/एक्सप्रेस कोच
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2000-2015: LHB कोच के आगमन के साथ नए रंग संयोजन
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2018 के बाद: तेजस, वंदे भारत जैसी ट्रेनों के लिए कस्टम डिज़ाइन व ब्राइट कलर्स
5. रोचक तथ्य (Fun Facts)
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वंदे भारत ट्रेन के कोच सफेद रंग के हैं, नीली धारियों के साथ, जो उसे एक आधुनिक और तेजस्वी लुक देते हैं।
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शताब्दी एक्सप्रेस की कोचेस पर नीली पट्टी नीचे और ऊपर सफेद रंग दिया गया है, जो इसे विशेष बनाता है।
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राजधानी एक्सप्रेस को पहले खास “क्रीम-लाल” कलर थीम दी गई थी ताकि उसकी प्रीमियम पहचान बनी रहे।